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Anjeer ki kheti : अंजीर की खेती से होगा दोगुना फायदा, किसान बन रहे मालामाल !

Anjeer ki kheti : अंजीर की खेती से होगा दोगुना फायदा, किसान बन रहे मालामाल !

प्रिय पाठकों, बलवान कृषि के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है

 

Anjeer ki kheti in india 

 

हमारे देश में अंजीर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है क्योंकि यह एक स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है, जिसकी लोकप्रियता भारत में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अंजीर का उपयोग ताजे फल के रूप में और ड्राई फ्रूट के रूप में दोनों ही तरह से किया जाता है।

इसकी खासियत यह है कि अंजीर की खेती कम पानी और कम देखभाल में भी अच्छी पैदावार देती है। यही वजह है कि आज कई किसान इसे एक फायदे का सौदा मान रहे हैं। अगर आप भी अंजीर की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए पूरी जानकारी लेकर आया है।

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अंजीर की खेती की पूरी जानकारी

अंजीर का वैज्ञानिक नाम Ficus carica है, और यह गर्म व शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। इसका पौधा झाड़ी जैसा होता है, जिसकी जड़ें गहराई तक जाती हैं। यही कारण है कि यह पौधा सूखे मौसम में भी फल देने में सक्षम होता है।

अंजीर की खेती (Fig farming in India) के लिए जून से अगस्त का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान बारिश की वजह से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे पौधों की रोपाई आसान हो जाती है।

इस फसल के लिए हल्की, बलुई या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। जरूरी है कि मिट्टी में जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो ताकि पानी जमा न हो और जड़ें सड़ने से बचें। साथ ही, मिट्टी का pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए, जिससे पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन बेहतर हो सके।

Fig farming in India

कौनसे राज्यों में होती है Anjeer ki kheti?

भारत में अंजीर की खेती मुख्य रूप से निम्नलिखित राज्यों में की जाती है:

➤ महाराष्ट्र
➤ कर्नाटक
➤ तमिलनाडु
➤ गुजरात
➤ उत्तर प्रदेश
➤ आंध्र प्रदेश
➤ राजस्थान
➤ पंजाब

इन राज्यों के कुछ खास क्षेत्रों में अंजीर के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी उपलब्ध है, जिसके कारण वहां इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है।

अंजीर की किस्में और पौधरोपण का तरीका

भारत में अंजीर की कुछ प्रमुख किस्में पाई जाती है जैसे पूना फिग, डिंडोरी फिग, Black Mission और Conadria। इनमें से पूना फिग महाराष्ट्र में सबसे अधिक उगाई जाने वाली किस्मों में से एक है जिसकी बाजार में भी अच्छी मांग है। 

अंजीर का प्रचार मुख्यतः कलम (cuttings) के जरिए किया जाता है। पौधों को 3 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए और एक हेक्टेयर में लगभग 600 से 625 पौधे लगाए जा सकते हैं।

सिंचाई, खाद और देखभाल

अंजीर की खेती में सिंचाई की जरूरत कम होती है। इसलिए गर्मियों में 7 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना पर्याप्त होता है। बरसात के मौसम में जल निकासी का खास ध्यान रखना चाहिए। 

खाद की बात करें तो अंजीर के लिए प्रति पौधा साल में दो बार 10-15 किलोग्राम गोबर की खाद देना फायदेमंद होता है। साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें। जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग भी लाभकारी होता है। 

अंजीर की खेती में सबसे प्रमुख ध्यान रखना होता है की पौधे में किसी भी प्रकार की बीमारियाँ या कीटों का हमला न हो क्योंकि यह पौधे को पूरी तरह ख़राब कर सकते है, तो इस परेशानी के लिए किसान बलवान के Battery Sprayers का इस्तेमाल कर सकते है जिसकी मदद से अंजीर की पौधे में आसानी से कीटनाशक और दवाइयों का छिडकाव किया जा सकता है। 

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कटाई, उत्पादन और मुनाफा

अंजीर के पौधे 1.5 से 2 साल के भीतर फल देना शुरू कर देते हैं। फलों को तब तोड़ना चाहिए जब वे हल्के नरम हो जाएं लेकिन पूरी तरह पकने से पहले।

एक पौधे से सालाना 10 से 15 किलो तक फल मिल सकते हैं और एक हेक्टेयर से 8 से 10 टन तक उपज संभव है। बाजार में अंजीर की मांग अच्छी है, खासकर जैविक और सूखे अंजीर की। इससे किसान प्रति हेक्टेयर 3 से 4 लाख रुपये तक की आमदनी आसानी से कमा सकते हैं।

निष्कर्ष

अंजीर की खेती किसानों के लिए एक शानदार अवसर है, जिसमें कम पानी, कम लागत और अधिक मुनाफा है। इसलिए यदि आप अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं और कुछ नया करना चाहते हैं, तो अंजीर की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। 

और अगर आप खेती में आधुनिक कृषि उपकरण की और कदम बढ़ाना चाहते है बलवान की वेबसाइट - https://www.balwaan.com/ पर जाएँ जहाँ आपको खेती से जुडी कई आधुनिक मशीनों की पूरी जानकारी मिलेगी।

 

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