
Farming Special : सितम्बर में शुरू करें तोरई की खेती और बनाये जबरदस्त मुनाफे का रिकॉर्ड !
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तोरई की खेती (Torai ki kheti) : भारत में सब्जियों की खेती कई युगों से की जा रही है क्योंकि सब्जियों की खेती न सिर्फ किसानों की आमदनी के लिए फायदेमंद है बल्कि ये उनके घरेलू जरूरतों को भी पूरा करती है। यदि किसान सितम्बर के महीने में तुरई की खेती शुरू करें तो जल्दी ही अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
इस समय भारत में महाराष्ट्रा, गुजरात , पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में जोर शोरो से तुरई की खेती की जा रही है और यदि आप भी जल्दी ही तुरई की खेती करने की सम्पूर्ण जानकारी की तलाश में है तो आज का ब्लॉग जरुर पढ़े, जहाँ हम आपको विस्तार से बतायेंगे तुरई की खेती का समय, भुमि की तैयारी , और उन्नत किस्में।
तोरई की खेती की जानकारी
तोरई की फसल जिसे अंग्रेजी में Ridge Gourd या Sponge Gourd के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय रसोई में इस्तेमाल की जाने वाली कई मुख्य फसलों में से एक है ।
इस सब्जी की मांग साल भर बनी है रहती है, क्योंकि इसकी खासियत है ये स्वाद में हलकी पोषण के लिए फायदेमंद और पाचन शक्ति के लिए बहुत ही उपयोगी है ।
यहीं कारण है भारतीय किसान तोरई की खेती करना बहुत ही लाभदायक मानते है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है की तोरई की खेती कैसे करें, कौन सी बातों का ध्यान रखे और और कौन सी किस्में उगाये की मुनाफा अच्छा हो और नुकसान उसके मुकाबले कम ।
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तुरई की खेती का सही समय
तोरई की खेती की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले आपको ये जानने की जरुरत है की खेती करनेका सही समय क्या है ? तुरई की खेती भारत में गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है जो 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में तेजी से बढ़ती है। अगर आप गर्मी की फसल लेना चाहते हैं तो फरवरी से मार्च इसका सही समय माना जाता है, वहीं बारिश के मौसम के लिए जून से जुलाई उपयुक्त रहता है।
कुछ किसान अगस्त-सितंबर में भी बुवाई करते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मौसम अपेक्षाकृत गर्म और नमी वाला होता है। सही मौसम का चुनाव बेहद जरूरी है, क्योंकि समय पर की गई बुवाई से फसल की पैदावार अधिक और गुणवत्ता बेहतर होती है।
भूमि की तैयारी
अब तोरई की खेती से पहले सबसे जरुरी है भूमि को सही तरह से खेती के लिए तैयार करना जिससे की बुवाई करना आसान और सुविधाजनक हो। खेती करने से पहले खेत में 2 से 3 बार सही तरह से जुताई कर भूमि को भुरभुरी और समतल बना लें और इस कार्य के लिए आप Power Weeder जैसी आधुनिक मशीन का इस्तेमाल कर सकते है, ये आपके कार्य को कई गुना आसान बनाएगा साथ ही आपके समय और श्रम दोनों की बचत करेगी।
इस दौरान खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े। तोरई की खेती के लिए रेतीली दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है और इसका pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

तोरई की उन्नत किस्में
तोरई की उन्नत किस्में खेती की सफलता में बड़ी भूमिका निभाती हैं। और यदि किसान सही किस्मों को चयन ना करें तो फसल की उत्पादकता पर भारी असर पड़ सकता है ।
तुरई की उन्नत किस्में -
पूसा नसदर
पूसा चिकनी
अर्का सुमन
नरेंद्र तोरई-1
पीकेएम-1 जैसी किस्में किसानों के बीच लोकप्रिय हैं।
कीटों और रोगों से सुरक्षा
तोरई की फसल में देखा जाए तो आमतौर पर फ्रूट फ्लाई और एफिड्स का हमला देखा जाता है। ये कीट फलों को खराब कर देते हैं और बाजार योग्य उपज घटा देते हैं। इनसे बचाव के लिए किसान कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर सकते है।
छिड़काव के कार्य को सफल बनाने के लिए आप Balwaan Battery Sprayers का उपयोग करें जिससे छिड़काव होगा तेज़ और खेत के हर कोने तक कीटों से छुटकारा मिल जायेगा ।
निष्कर्ष
तोरई की खेती की शुरुवात करना किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। यदि सही समय पर बुवाई की जाए और खेती की सही तैयारी हो तो किसान जल्दी ही शानदार मुनाफा कम सकते है। यह फसल न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार है बल्कि पोषण की दृष्टि से भी लोगों की थाली में एक जरूरी सब्ज़ी है। इसलिए आने वाले समय में तोरई की खेती किसानों के लिए और भी लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न
तोरई किस महीने में लगाई जाती है?
तोरई की खेती पुरे साल की जाती है, लेकिन इसका मुख्य समय जून से जुलाई और सितम्बर के बीच माना जाता है।
तोरई के बीज कितने दिन में उगते हैं?
तोरई के बीज बुवाई करने के लग-भग 5 से 10 दिन बाद उगने शुरू हो जाते है और इस बीच अंकुरण के लिए मिट्टी में आवश्यक नमी बनाये रखना बहुत ज़रूरी है ।
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