
एक काम और कमाई दोगुनी, सब्जियों की खेती में किसानों की लग रही है लौटरी !
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सब्जियों की खेती (Sabji Ki Kheti)
आज के आधुनिक दौर में किसान अब सिर्फ पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं हैं। बल्कि बदलते मौसम और बाज़ार की मांग को देखते हुए वे ऐसी आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती हैं।
ऐसी ही एक तकनीक है सहफसली खेती (Intercropping), जिसमें किसान एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसलें उगाकर अपनी आय को कई गुना बढ़ा रहे हैं।यह तरीका खासकर सब्ज़ियों की खेती में काफी लोकप्रिय हो रहा है।
किसान बरसात के मौसम में मिर्च के साथ भिंडी, बैंगन के साथ तोरई जैसी फसलों को एक साथ उगाकर डबल मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
सहफसली खेती से न सिर्फ खेत का हर हिस्सा पूरी तरह इस्तेमाल हो पाता है, बल्कि इसमें अतिरिक्त मेहनत भी नहीं लगती, जिससे किसानों को कम समय में बेहतर मुनाफा मिल रहा है। तो चलिए आज के इस ब्लॉग में जानते है सब्जियों की खेती में इस लोकप्रिय खेती के बारे में।
सहफसली खेती क्या है | What is Intercropping
सहफसली खेती, जिसे Intercropping कहा जाता है, खेती की एक ऐसी पद्धति है जिसमें किसान एक ही खेत में एक साथ दो या उससे अधिक फसलें उगाते हैं। इन फसलों का चुनाव इस तरह किया जाता है कि वे एक-दूसरे की बढ़वार में सहायक हों और पानी, खाद, धूप जैसी उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।
उदाहरण के लिए, अगर एक फसल को ज्यादा धूप की जरूरत हो और दूसरी को हल्की छांव पसंद हो, तो दोनों को साथ लगाकर खेत की उत्पादकता और मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।
सहफसली सब्जियों की खेती के फायदे :
डबल कमाई –
जब एक खेत से एक साथ दो फसलों का उत्पादन होता हैं, तो स्वाभाविक है कि मुनाफा भी दो गुना हो जाता है। जैसे मिर्च के साथ प्याज उगाने पर दोनों की अलग-अलग बिक्री से अलग-अलग आमदनी होती है।
जमीन का बेहतर उपयोग –
पारंपरिक खेती में कई बार खेत का कुछ हिस्सा खाली रह जाता है। लेकिन आज कल सब्जियों की खेती (Vegetable Farming) में सहफसली तकनीक अपनाने से खेत का पूरी तरह से बेहतर उपयोग किया जाता है जिससे किसान ज्यादा कमाई कर सकते है ।
कीट और रोग नियंत्रण –
खेत में अलग-अलग फसलों के साथ होने से कीटों का फैलाव भी कम होता है, जिससे फसलों के नुकसान होने का खतरा भी कम हो जाता है। लेकिन कुछ फसलें ऐसी भी होती है जिनमें कीटनाशक का छिडकाव करना महत्वपूर्ण हो जाता है जिसके लिए आप बलवान के Agriculture Sprayers का उपयोग कर सकते है जिससे खेत में लम्बी दूरी तक कीटनाशक दवाइयों का छिडकाव करने में आपको मदद मिलेगी ।
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मिट्टी की सेहत में सुधार –
अलग-अलग फसलों की जड़ें मिट्टी से अलग-अलग पोषक तत्व लेती हैं और कुछ वापस भी छोड़ती हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
कौन-कौन सी सब्जियां साथ में उगाई जा सकती हैं?
सब्जियों की खेती कुछ ज़रूरी टिप्स
1. सही फसलों का चयन करें
इंटरक्रॉपिंग की सफलता के लिए, आपको ऐसी फसलों का चयन करना होगा, जिनकी ज़रूरतें एक-दूसरे से मिलती-जुलती हों। इसके लिए ऐसी फसलें चुनें, जिन्हें एक-जैसा पोषण, धूप, और पानी की ज़रूरत हो।
2. सही समय पर बुवाई
इंटरक्रॉपिंग के लिए, सही समय पर फसलों की बुवाई करना ज़रूरी है। ऐसी फसलें चुनें, जिनकी कटाई एक-दूसरे से थोड़े समय के अंतराल पर की जा सके।
3. संतुलित पोषण का ध्यान रखें
एक ही खेत में कई फसलें उगाने के लिए, यह ज़रूरी है कि आप मिट्टी को संतुलित पोषण दें। आप इंटरक्रॉपिंग की योजना बनाने से पहले मिट्टी की जाँच करवा सकते हैं। इसके बाद, आप ज़रूरी पोषक तत्वों का उपयोग करके, मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ा सकते हैं।
4. खरपतवारों का प्रबंधन
एक ही खेत में ज़्यादा फसलें उगाने से, खरपतवार प्रबंधन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसे में, यह ज़रूरी है कि आप समय पर निराई करके, खरपतवारों को नियंत्रित रखें।
और खेत में खरपतवारों के सही नियंत्रण के लिए आप बलवान के Power weeder मशीन का इस्तेमाल कर सकते है ये मशीन आपके खेत में खरपतवार नियंत्रण, निराई-गुड़ाई और जुताई जैसे कई कार्यों के लिए आसानी से उपयोग में आ सकती है।
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Agriculture News : किसानों की सफलता की कहानी
बाराबंकी जिले के किसान राजेश यादव पिछले साल से सहफसली खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेत में बैंगन और तोरई लगाई। तोरई 45 दिन में बाजार में बिक गई, जिससे शुरुआती खर्च निकल गया।
बैंगन ने अगले तीन महीने तक लगातार उत्पादन दिया। राजेश बताते हैं कि एक ही खेत से उन्हें पहले की तुलना में लगभग 70% ज्यादा आमदनी हुई, वो भी बिना अतिरिक्त मेहनत के।
निष्कर्ष :
आज खेती में सिर्फ मेहनत नहीं, समझदारी भी जरूरी है। सब्जियों की खेती में Intercropping अपनाकर किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। सही फसल संयोजन, बाजार की जानकारी और उचित प्रबंधन से एक ही खेत से डबल कमाई कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत है।
आने वाले समय में यह तकनीक न केवल किसानों की जेब भरने वाली है, बल्कि खेती को और टिकाऊ बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगी।
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